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नील का पौधा
Common Name -: नील
Botanical Name -: Indigofera tinctoria
Kingdom -: Plantae
Order -: Fabales
Family -: Fabaceae
Other Common Names -: नीली, गौंथी, गौली, नीली वृक्ष, नील, नीलिनी, अशिता, रंगपत्री, नीलिका, रंजनी, श्रीफली, तुत्था, ग्रामीणा, Common indigo, Indian indigo आदि।
सामान्य जानकारी -: हिन्दी में नील फूल को नीली, गौंथी या गौली भी कहते हैं। भारत में इस फूल की खेती पहले नीला रंग बनाने के लिए किया जाता था। जब से कृत्रिम नीला रंग बनने लगा तब से इसकी खेती प्राय: बन्द-सी हो गयी है; परन्तु अब भी कई स्थानों पर यह जंगली अवस्था में खुद ही पैदा हो जाती है। इस नील फूल के औषधीपरक गुण भी हैं जो अनगिनत बीमारियों के लिए इस्तेमाल की जाती है।
नील के पादप की लंबाई एक मीटर से दो मीटर तक होती है। यह एकवर्षीय, द्विवर्षीय या सदाबहार हो सकता है जो उस स्थान की जलवायु पर निर्भर करता है। इसकी पत्तियाँ हल्की हरी होती हैं तथा इसके पुष्प, गुलाबी अथवा बैंगनी रंग के होते हैं। यह फली वाला (legume) पौधा है जिसके बोने से भूमि की उर्वरा-शक्ति बढ़ती है। इस पौधे की पत्तियों के प्रसंस्करण से नील रंजक प्राप्त किया जाता है।
नील के औषधीय गुण -: नील प्रकृति से कड़वा, तीखा, गर्म, लघु, रूखा, तीक्ष्ण, कफवात से आराम दिलाने वाला, तथा बालों के लिए हितकर होता है।
यह पेट संबंधी रोग, वातरक्त, व्यंग (Blemishes), आमवात या गठिया, उदावर्त (vertical disease), मद (alchohol), विष, कटिवात या कमर में वात का दर्द, कृमि, गुल्म (Tumor), ज्वर या बुखार, मोह, सिरदर्द, भम, व्रण या घाव, हृदय रोग तथा व्रण-नाशक होती है।
इसका तेल कड़वा, तीखा, कषाय, कफवातशामक, कुष्ठ, व्रण तथा कृमिनाशक होता है।
यह लीवर संबंधी समस्या, अर्बुदरोधी (Molluscidal), कवकरोधी या फंगस को रोकने वाला, विरेचक, कृमि नाशक, बलकारक, मूत्र संबंधी समस्या, लीवर को स्वस्थ रखने में मददगार होती है। इसके अलावा इसमें शर्करा की मात्रा कम होती है।
Creator - Sourabh Kushwaha ( B.Sc. 3rd Year )
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