Syzygium cumini

 जामुन का वृक्ष

Common Name :- जामुन

Botanical Name :- Syzygium cumini

Kingdom :- Plantae

Order :- Myrtales

Family :- Myrtaceae

Other Common Names :- जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी, मालाबार प्लम, जावा प्लम, ब्लैक प्लम, जंबुल, या जंबोलन इत्यादि।

सामान्य जानकारी -:  जामुन का पौधा संपूर्ण भारत भूमि में पाया जाता है। Syzygium cumini जिसे आमतौर पर मालाबार प्लम, जावा प्लम, ब्लैक प्लम, जामुन, जंबुल, या जंबोलन के रूप में जाना जाता है, फूलों के पौधे परिवार Myrtaceae में एक सदाबहार उष्णकटिबंधीय पेड़ है, और इसके फल, लकड़ी और सजावटी मूल्य के लिए बहुत उपयोगी है।

जामुन के पूर्ण विकसित वृक्ष की लंबाई 20 से 25 फीट से अधिक होती है। जो दिखने में सामान्य वृक्ष की तरह होता है। इसकी खेती के लिए उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है। जामुन लगाने के लिए जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में यह अधिक उपयुक्त होती है। यह पेड़ सदा हरा भरा रहता है। जामुन के पौधे जून से अगस्त तक बरसात के मौसम में लगाए जाने चाहिए। इससे पौधा अच्छी तरह विकसित होता है। क्योंकि बरसात के मौसम में पौधे को विकास के लिए अनुकूल तापमान मिलता है। जबकि इसके पौधों को बीजों के माध्यम से तैयार करने के लिए इन्हें बरसात के मौसम से पहले फरवरी के मध्य से मार्च के अंत तक उगाया जाता है।

जामुन के पौधे का उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। जामुन के पेड़ के सभी भाग उपयोगी होते हैं। जामुन के पेड़ के पत्ते, फल, गुठली या बीज, तना, छाल और टहनियाँ सभी उपयोगी होते हैं और इन सभी का उपयोग आयुर्वेदिक रूप से किया जाता है। जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। अन्य फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है। एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है। इस फल के बीज में काबोहाइट्ररेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह लोहा का बड़ा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम में एक से दो मिग्रा आयरन होता है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं। इसके अलावा जामुन के बहुत से और फ़ायदे हैं ये उत्तर प्रदेश के कन्नौज नामी शहर में भारी मात्रा में पाए जाते हैं। जामुन का पौधा 5 से 6 साल में फल देना शुरू कर देता है।

जामुन में छोटे-छोटे सफेद फूल आते हैं। ये फूल गुच्छों में दिखाई देते हैं। जामुन के फल गुच्छों में उगते हैं। जामुन के फल प्रारम्भिक अवस्था में हरे रंग के होते हैं। जामुन के फल पकने के बाद बैंगनी और काले रंग के हो जाते हैं। यह फल रसदार और गूदेदार होता है। जामुन के फल का स्वाद मीठा और खट्टा दोनों होता है। गर्मी के मौसम में पौधों को सप्ताह में दो या तीन बार पानी देना चाहिए और सर्दी के मौसम में 15 दिनों के अंतराल पर पानी देना पर्याप्त है। इसके पौधों को शुरुआत में सर्दी के पाले से दूर रखना चाहिए। इसके पौधे को वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती है। जामुन का पेड़ पूरी तरह से विकसित होने के बाद उसे साल में केवल 5 से 7 सिंचाई की जरूरत होती है, जो ज्यादातर फल बनने के दौरान की जाती है।

जामुन का पौधा सामान्य जलवायु में आसानी से उगता है। जामुन की पत्तियों और इसकी शाखाओं के कारण यह पौधा बहुत घना रहता है। जामुन का पौधा 80 से 90 साल तक जीवित रहता है। इसके पेड़ पर सर्दी, गर्मी और बारिश का कोई खास असर नहीं होता है। सर्दी में पाला और गर्मी में लू से नुकसान हो सकता है। जामुन के पेड़ 4 से 5 साल बाद फल देने लगते हैं लेकिन लगभग 8 साल बाद पूरा फल देना शुरू कर देते हैं। पूर्ण परिपक्वता के बाद एक पौधे से 80 से 90 किलोग्राम जामुन प्राप्त किया जा सकता है, जबकि एक हेक्टेयर में 250 से अधिक पेड़ लगाए जा सकते हैं।


औषधीय उपयोग :-

‌‌‌‌‌‌जामुन का प्रयोग कई सारी बिमारियों के उपचार मे किया जाता है। गर्मियों के दिनों मे जामुन के सेवन करने से लू नहीं लगती है। यह कैंसर की संभावना को कम करने मे भी काफी मददगार है।

मधुमेह के उपचार में उपयोग :-  जामुन खाने से शुगर के रोगी को फायदा होता है। यह रक्त के अंदर शक्कर की मात्रा को नियंत्रित करता है। डायबिटिज के रोगी को रोजाना जामुन का सेवन करना चाहिए। रोज 100 ग्राम जामुन का सेवन करना चाहिए। जामुन की गुठली ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने मे काम आती है।

‌‌‌पेट की समस्याओं को दूर करने में उपयोगी :-  पेट से जुड़ी समस्या को दूर करने के लिए जामुन फायदे मंद है। रोज सुबह खाना खाने के बाद जामुन खाने से पेट साफ होता है। पेट के अंदर ऐंठन की समस्या दूर करने के लिए जामुन की छाल का काढा बनाकर पीने से दूर हो जाती है।

‌‌‌एनिमिया के उपचार में सहायक:- जामुन हमारे शरीर के अंदर खून की कमी को दूर करते हैं। जिस व्यक्ति के शरीर के अंदर खून की कमी हो उसे जामुन का सेवन करना चाहिए । जामुन के अंदर कैल्शियम, पो‌‌‌टैशियम और आयरन पाये जाते हैं। जो हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाते हैं।

‌‌‌मसूड़ों के लिए लाभकारी:- जामुन के पत्ते मसूड़ों के लिए फायदेमंद हैं। यदि मसूंडों के अंदर खून आता है तो जामून की गुंठली पीस कर नमक के साथ मसूडों पर लगाने से फायदा होता है। यदि मसूड़ों के अंदर सूजन आ रही है तो जामुन के पत्तों को उबाल कर कूल्ला करना चाहिए। यदि मुंह के अंदर दुर्गंध आ रही है तो जामुन के पत्ते चबाना चाहिए ।

‌‌‌यकृत ( liver ) के लिए लाभकारी :- यदि लिवर के अंदर किसी प्रकार की समस्या है तो सुबह शाम जामुन का रस पीना चाहिए जिससे लिवर की समस्या ठीक हो जाएगी ।

‌‌‌पत्थरी के उपचार में उपयोगी:- यदि किसी व्यक्ति को पत्थरी की समस्या है तो जामुन के बीज का पाउडर दही के साथ मिलाकर रोज खाने से पत्थरी की समस्या भी दूर हो जाती है।

‌‌‌गठिया के उपचार करने में सहायक :- जिस व्यक्ति को गठिया होता है। उसे जामुन की छाल को पीस कर जोड़ों पर लेप करने से फायदा होता है।

‌‌‌त्वचा की कांति को बढ़ाने मे सहायक:- जामुन के बीजों का प्रयोग चेहरे के पिंपल्स को हटाने के लिए किया जाता है। बीजों को पीस कर दूध मिलाकर पेस्ट बनाकर सोने से पहले चेहरे पर लगाएं ऐसा कई दिनों तक करें जिससे चेहरा साफ होगा और चेहरे के दाग दब्बे दूर होंगे ।

‌‌‌आवाज को साफ करने में मददगार :- आवाज को सूरीली बनाने मे भी जामुन मददगार होता है। जामुन का चूर्ण रोज चाटने से आवाज साफ और सूरीली बनती है।

‌‌‌बच्चों के लिए लाभदायक :- जामुन छोटे बच्चों के लिए भी अच्छे रहते हैं। यदि बच्चों को दस्त की समस्या हो तो जामुन की ताजी छाल को पिस कर बकरी के दूध के साथ मिलाकर पीने से लाभ होता है। यदि बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं तो जामुन का चूर्ण खिलाने से लाभ होता है।


Creator - Sourabh Manjhi ( B.Sc. 3rd Year )

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